पुरुषों में भी होता है मेनोपॉज, ये लक्षण दिखाई देने पर तुंरत डॉक्टर से लें सलाह
अम्बुज यादव
दुनिया में वैसे कई तरह की बीमारी है, जिससे लोग बचते रहते हैं। क्योकि कभी-कभी वही बीमारी जानलेवा हो जाती हैं। वही कई बीमारियों के बारे में कहा जाता है कि वो केवल महिलाओं की है और कई बीमारी को पुरुषों का रोग कहा जाता है। ऐसी ही एक बीमारी के बार में आज हम बात करेंगें, जिसे अधिकतर लोग जानते है कि वो सिर्फ महिलाओं में होता है। लेकिन आज हम बताएंगें कि वह बीमारी महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी हो सकता है। जी हां हम बात कर रहे हैं मेनोपॉज जैसी बीमारी के बारे में, दरअसल मेनोपॉज वैसे 40 से 50 की उम्र वाली महिलाओं में होता है। इसे रजोनिवृत्ति भी कहते है। इसे आम भाषा में मासिक धर्म का बंद होना भी कहते हैं। वैसे ये बीमारी महिलाओं में होती है, लेकिन आज हम बताएंगे कि ये बीमांरी पुरुषों को भी होती है वही इसे पहचाने के लक्षण भी हम आपको बताएंगें।
पाचन संबंधी विकार
भले ही वह पुरुष हो या महिला, मेनोपॉज के दौरान पाचन अंगों की उम्र बढ़ने लगती है, और उनके काम करने की गति धीमी पड़ जाती है। इससे पुरुषों में न केवल अपच और सूजन जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं बल्कि ये मांसपेशियों के ऊतकों और ग्रंथियों में भी ये कई परेशानियां पैदा करती हैं। ऐसे में अगर आप अपने आहार को नियंत्रित नहीं करेंगे, तो यह पाचन संबंधी अंगों को और नुकसान पहुंचा सकता है। इस तरह ये इंटेस्टाइन, लिवर और गोल ब्लैडर से जुड़ी परेशानियों भी पैदा कर सकता है। इसलिए 50 से 60 की उम्र में पुरुषों को अपना खास ख्याल रखना चाहिए।
इनसोम्निया
अधिक तनावपूर्ण जीवन वाले कुछ पुरुषों के लिए, मेनोपॉज में प्रवेश करने के बाद, उन्हें अधिक गंभीर अनिद्रा से जुड़ी बीमारियां होने लगती हैं। इस फेज में नींद की बीमारी आम हो जाती है और वे अक्सर रात के दौरान परेशान करती हैं। घंटों तक ऐसे में पुरुषों को नींद नहीं आती है। साथी न केवल आप थका हुआ महसूस कर सकते हैं बल्कि कमजोर भी महसूस करेंगे। आपको अपने शरीर को खोने का खतरा महसूस होता रहेगा। ऐसे में अपनी डाइट और एक्सरसाइज का खास ख्याल रखें।
हड्डियों से जुड़ी परेशानिया और यौन रोग
55 से 65 वर्ष की आयु के आसपास, एक आदमी के शरीर के अंदर हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। धीरे-धीरे सारी हड्डि्यां कमजोर होने लगती हैं और फिर धीरे-धीरे अपने-आप ज्वाइंट्स को छोड़ने लगती है। ऐसे में अगर थोड़ी भी चोट लग जाए तो हड्डियां के टूट सकती हैं। वहीं मेल मेनोपॉज की प्रमुख विशेषता यौन रोग भी है। इससे न केवल उदासीनता पैदा होती है, बल्कि शारीरिक असंतुलन में भी कमी आने लगती है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने आप को व्यस्त रखें और खेल-कूद और पढ़ने-लिखने जैसे कामों में फिर से करना शुरू कर दें।
मानसिक अवस्था में परिवर्तन
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, एंड्रोजन हार्मोन का स्राव कम होता जाता है। सबसे ज्यादा सीधा असर उसकी मानसिक स्थिति पर पड़ता है। न केवल तीव्र मिजाज होगा, बल्कि गंभीर न्यूरोलॉजिकल चिंता और तनाव भी पुरुषों में पाया गया है। कुछ पुरुष तो इसे समझ ही नहीं पाते, जिसके परिणामस्वरूप उनकी कार्य क्षमता में तेज गिरावट आने लगती है। कुछ पुरुषों में ये मेमोरी लॉस का भी कारण होता है और उनकी यादाश्त धीमी होने लगती है। ऐसे में जितना हो सकते उतना पुरुषों को खेलकूद में भाग लेना चाहिए। यह न केवल अवसाद को रोक सकता है, बल्कि उसके तनाव को भी दूर कर सकता है।
हृदय संबंधी समस्याएं
पुरुषों में मेनोपॉज के समय के आसपास, शरीर के कुछ अंग धीरे-धीरे काम करना कम कर देते हैं। इसी समय, ब्लड वेसल्स भी अच्छे से काम करना बंद कर देते हैं। वहीं धमनियों से जुड़ी बीमारियां भी इसी उम्र में लोगों में बढ़ने लगती है। कुछ अपेक्षाकृत कमजोर पुरुषों को भी चक्कर आना और तेज धड़कन का अनुभव हो सकता है। ऐसे में अगर आप दैनिक आहार को सही से नहीं ले रहे हैं, तो आप बीमार हो सकते हैं। वहीं अगर व्यायाम नहीं कर रहे हैं, तो यह हृदय से जुड़ी परेशानियों को पैदा कर सकती है। वहीं ये कई तरह के अन्य विकारों का भी कारण हो सकती है, जिससे अनिद्रा और चिड़चिड़ापन आदि भी हो सकती है।
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